हम जैसे भी मिलाते जाएँ… एक टुकड़े के बिन पूर्ण आकृति नहीं बन सकती।
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हम जैसे भी मिलाते जाएँ … एक टुकड़े के बिन पूर्ण आकृति नहीं बन सकती।
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आधी स्थान अथवा दीवार आधार के प्रथम तल में सुसज्जित कड़ियों के अंत में सज्जा के लिए दहाड़ते सिंह की पूर्ण आकृति आरक्षित है।
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इस अध्ययन के क्रम में ये भी पता चला कि ड्रम की पूर्ण आकृति तो नहीं पर थोडा-बहुत पता तो लगाया जा ही सकता है.!
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मुझे अगर कुछ सूझता है तो बस कदंब-जिसकी पूर्ण आकृति से लेकर फूल, फल, पत्तियों, मकरंद, यहाँ तक कि उन सूक्ष्म कोशिकाओं के स्वरूप भी अपनी व्याख्या चाहते हैं मुझसे।